भारतीय फुटबॉल टीम ने मंगलवार को दोहा में खेले गए दूसरे वर्ल्ड कप क्वालीफायर 2022 में काफी अच्छा प्रदर्शन किया , जिन्होंने एशियाई चैंपियंस 2019 के विजेता को 0 -0 पर ही रखा।
कतर विश्व में 62 वें स्थान पर है , जबकि भारतीय 103 नंबर पर। कतर ने इस बार किसी भी एशियाई टीम को जीतने नहीं दिया था जैसे सऊदी अरब , जापान , संयुक्त अरब अमीरात। जो कि एशियाई की मजबूत टीम ये सारी टीम मानी जाती है।
सबसे बड़ी , यह रही इस मैच में भारत के स्टार खिलाडी सुनील छेत्री और आशिक कुरिनियन के बिना यह काम संभव हो पाया। इस मैच सभी युवा खिलाड़ियों का उत्साह और प्रदर्शन देखने को मिला जो काफी सराहनीय है। जब आप के साथ आप का मुख्या टीम लीडर नहीं और आप उसके अनुपस्थिति में शानदार प्रदर्शन करते हो , तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती।
हम सभी ने इस फुटबॉल मैच का आनंद लिया। इतनी अच्छी खेल के पीछे उस शख्स को भी नहीं भूलना चाहिए , जिन्होंने इन सभी युवाओं को तैयार किया। जो भारत के ये सभी युवाओं ने अपना दमदार पराक्रम दिखाया। वो कोच हैं इगोर स्टिमैक। जो भारतीय टीम की मैनेजमेंट और फिटनेस पर पूरा जोड़ दिया और उसका परिणाम काफी अच्छा रहा। जो आज भारतीय फुटबॉल अपनी नयी ऊंचाई छू रही है।
एक पूर्व क्रोएशियाई अंतर्राष्टीय खिलाड़ी के रूप में अपनी नई नौकरी में कुछ ही महीने गुजारे हैं और इन्होने हाहाकार मचा दिया।
इगोर स्टिमैक यक़ीनन भारतीय फुटबॉल टीम एक काफी मजबूत कोच हैं , इनसे पहले भी कई कोच आए भारतीय टीम में लेकिन रिजल्ट किसी खास नहीं दिया था। स्टिमैक क्रोएशियाई राष्ट्रीय पक्ष का एक अभिन्न सदस्य था जो विश्व कप 1998 में तीसरे स्थान पर रहा। इस टीम को क्रोएशिया की स्वर्ण पीढ़ी माना जाता है और स्टिमैक उस टीम के नेताओं में से एक था। उन्होंने 2012 और 2013 के बीच क्रोएशियाई राष्ट्रीय टीम का प्रबंधन भी किया है।
खिलाड़ी और कोच के रूप में क्रोएशिया के कद का भारतीय ड्रेसिंग रूम में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, खासकर युवाओं पर। इसमें कोई संदेह नहीं है कि स्टैमैक ने खिलाड़ियों को खुद में सर्वश्रेष्ठ लाने के लिए प्रेरित किया है और यह उनके पहले दो क्वालीफाइंग मैचों (ओमान के खिलाफ पहला मैच जो 2-1 की हार में समाप्त हुआ) में परिणामों में परिलक्षित होता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात, उन्होंने विरोधियों की ताकत पर ध्यान केंद्रित करने की तुलना में टीम को अपनी क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद की है।
यह संयोग नहीं है कि भारत को अपने सबसे उच्च प्रोफ़ाइल कोच के संरक्षण में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में अपना सबसे उच्च प्रोफ़ाइल परिणाम मिला। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ की दृष्टि को यहां श्रेय दिया जाना चाहिए। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ की तकनीकी समिति ने यह कोई रहस्य नहीं बनाया था कि वे एक कोच को किराए पर लेना चाहते थे जो स्टीफन कॉन्स्टेंटाइन के चले जाने के बाद भारत को अगले स्तर पर ले जाएगा।
कतर विश्व में 62 वें स्थान पर है , जबकि भारतीय 103 नंबर पर। कतर ने इस बार किसी भी एशियाई टीम को जीतने नहीं दिया था जैसे सऊदी अरब , जापान , संयुक्त अरब अमीरात। जो कि एशियाई की मजबूत टीम ये सारी टीम मानी जाती है।
सबसे बड़ी , यह रही इस मैच में भारत के स्टार खिलाडी सुनील छेत्री और आशिक कुरिनियन के बिना यह काम संभव हो पाया। इस मैच सभी युवा खिलाड़ियों का उत्साह और प्रदर्शन देखने को मिला जो काफी सराहनीय है। जब आप के साथ आप का मुख्या टीम लीडर नहीं और आप उसके अनुपस्थिति में शानदार प्रदर्शन करते हो , तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती।
हम सभी ने इस फुटबॉल मैच का आनंद लिया। इतनी अच्छी खेल के पीछे उस शख्स को भी नहीं भूलना चाहिए , जिन्होंने इन सभी युवाओं को तैयार किया। जो भारत के ये सभी युवाओं ने अपना दमदार पराक्रम दिखाया। वो कोच हैं इगोर स्टिमैक। जो भारतीय टीम की मैनेजमेंट और फिटनेस पर पूरा जोड़ दिया और उसका परिणाम काफी अच्छा रहा। जो आज भारतीय फुटबॉल अपनी नयी ऊंचाई छू रही है।
एक पूर्व क्रोएशियाई अंतर्राष्टीय खिलाड़ी के रूप में अपनी नई नौकरी में कुछ ही महीने गुजारे हैं और इन्होने हाहाकार मचा दिया।
इगोर स्टिमैक यक़ीनन भारतीय फुटबॉल टीम एक काफी मजबूत कोच हैं , इनसे पहले भी कई कोच आए भारतीय टीम में लेकिन रिजल्ट किसी खास नहीं दिया था। स्टिमैक क्रोएशियाई राष्ट्रीय पक्ष का एक अभिन्न सदस्य था जो विश्व कप 1998 में तीसरे स्थान पर रहा। इस टीम को क्रोएशिया की स्वर्ण पीढ़ी माना जाता है और स्टिमैक उस टीम के नेताओं में से एक था। उन्होंने 2012 और 2013 के बीच क्रोएशियाई राष्ट्रीय टीम का प्रबंधन भी किया है।
खिलाड़ी और कोच के रूप में क्रोएशिया के कद का भारतीय ड्रेसिंग रूम में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, खासकर युवाओं पर। इसमें कोई संदेह नहीं है कि स्टैमैक ने खिलाड़ियों को खुद में सर्वश्रेष्ठ लाने के लिए प्रेरित किया है और यह उनके पहले दो क्वालीफाइंग मैचों (ओमान के खिलाफ पहला मैच जो 2-1 की हार में समाप्त हुआ) में परिणामों में परिलक्षित होता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात, उन्होंने विरोधियों की ताकत पर ध्यान केंद्रित करने की तुलना में टीम को अपनी क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद की है।
यह संयोग नहीं है कि भारत को अपने सबसे उच्च प्रोफ़ाइल कोच के संरक्षण में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में अपना सबसे उच्च प्रोफ़ाइल परिणाम मिला। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ की दृष्टि को यहां श्रेय दिया जाना चाहिए। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ की तकनीकी समिति ने यह कोई रहस्य नहीं बनाया था कि वे एक कोच को किराए पर लेना चाहते थे जो स्टीफन कॉन्स्टेंटाइन के चले जाने के बाद भारत को अगले स्तर पर ले जाएगा।
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