मेजर ध्यानचंद |
ध्यानचंद के करियर
ध्यानचंद बचपन में हॉकी के प्रति उनकी कोई रूचि नहीं थी। वे पहलवानी को पसंद करते थे। उन्होंने कहा कि याद नहीं कभी सेना में जॉइन करने से पहले कभी हॉकी के बारे उल्लेख किया हो। हालांकि उन्होंने कहा कि कभी कभी अपने दोस्तों के आकस्मिक खेलों में शामिल होते थे।
कैसा ध्यान सिंह बना ध्यानचंद
जब अपनी आर्मी की नौकरी समाप्त हो जाती थी, तब वो रात में चांद के निकलने का इंतजार करते थे , ताकि वे अपना अभ्यास चाँद के लाइट में करे क्योंकि उस वक्त मैदान पर बड़ी लाइट नहीं हुआ करती थी। इस तरह से उसके दोस्तों ने ध्यान सिंह से ध्यानचंद बना दिया। उसे दोस्त अक्सर चाँद के नाम से बुलाया करते थे।
हॉकी करियर
ध्यानचंद भारती के लिए अंतर्राष्टीय हॉकी 1926 से 1949 तक खेले। इस दौरान 185 मैच खेले और 570 गोल किए। उस दौरान ओलंपिक में भारत के लिए 3 स्वर्ण पदक जीते। 1928(एम्स्टर्डम ) ,1932(लॉस एंजिल्स ) ,1936 (बर्लिन) ऐसा माना जाता है कि 1936 के ओलंपिक फाइनल में 8 -1 में भारत ने जर्मनी को हराने के बाद , एडॉल्फ हिटलर ने उन्हें जर्मन सेना में एक वरिष्ठ पद की पेशकश की थी , जिसे ध्यानचंद ने ठुकरा दिया।
भारत सरकार ने उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया।
भारत सरकार ने उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया।
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